3D प्रिंटेड Technology क्या है

सिविल इंजीनियरिंग की दुनिया में तेजी से बदलाव आ रहा है। 3D प्रिंटेड Technology क्या है एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमें बड़े आकार के 3D प्रिंटर का इस्तेमाल करके सीमेंट-कंक्रीट के घर, दीवारें और पूरी बिल्डिंग तैयार किया जाता है। 3D प्रिंटेड टेक्नोलॉजी क्या है

इसमे BIM बिल्डिंग इनफार्मेशन मौडलिंग का उपयोग करके और बेहतर कर सकते है

पारंपरिक निर्माण में जहाँ महीनों लग जाते हैं, वहीं 3D प्रिंटिंग से एक साधारण घर 24–72 घंटे में तैयार हो सकता है इसको 3D प्रिंटेड टेक्नोलॉजी कहते है I


3D प्रिंटेड टेक्नोलॉजी क्या है बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का प्रोसेस

3D प्रिंटेड Technology क्या है बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में तीन मुख्य स्टेप होते हैं

1. डिजिटल डिज़ाइन तैयार करना (CAD मॉडल) कंप्युटरराइज़

  1. पहले CAD (Computer-Aided Design) सॉफ़्टवेयर में घर या बिल्डिंग का 3D मॉडल बनाया जाता है।
  2. इस डिज़ाइन में सभी दीवारों, खिड़कियों और स्ट्रक्चर के माप तय किए जाते हैं।

2. 3D प्रिंटेड Technology क्या है

  1. जहा बिल्डिंग बनाना है वह बड़े आकार के गैन्ट्री या रोबोटिक आर्म 3D प्रिंटर साइट पर इंस्टॉल किए जाते हैं।
  2. फिर प्रिंटर में सीमेंट, रेत और एडिटिव मटेरियाल वाला मिश्रण डाला जाता है।

3. लेयर-बाय-लेयर प्रिंटिंग 3D प्रिंटेड टेक्नोलॉजी

लेयर बाय लेयर प्रिंटिंग
  1. 3D प्रिंटर के डिजाइन के अनुसार लेयर बाइ लेयर कंक्रीट डालता है।
  2. 3D प्रिंटर मशीन के द्वारा धीरे-धीरे पूरी दीवार औरस्ट्रक्चर तैयार हो जाता है।
  3. फाइनल फिनिशिंग के लिए खिड़की, दरवाजे और छत जोड़े जाते हैं, 3D प्रिंटेड बिल्डिंग बन कर तैयार हो जाता है I

3D प्रिंटेड बिल्डिंग के फायदे 3D प्रिंटेड Technology क्या है

3d प्रिंटेड बिल्डिंग के फायदे
  1. समय की बचत बहुत कम समय मे बिल्डिंग बन जाता है कन्स्ट्रक्शन निर्माण की तुलना में 50–70% तेजी से काम पूरा होता है I
  2. 3D प्रिंटेड मे लागत कम हो जाता है लेबर और मटेरियल का कॉस्ट भी बहुत कम लगता है I
  3. सटीकता (Precision) डिज़ाइन के अनुसार यम यम तक की परफेक्ट डाटा संभव होता है ।
  4. पर्यावरण-अनुकूल कम वेस्टेज और रिसाइकल्ड मटेरियल का उपयोग किया जाता है ।
  5. लेबर की जरूरत बहोत ही कम होती है, कम लेबरो से भी बड़े बड़े प्रोजेक्टस् को पूरा किया जा सकता ही ।
  6. 3D प्रिंटेड बिल्डिंग कन्स्ट्रक्शन से कोई भी डिजाइन बनाना मुस्किल नहीं है बहुत आसानी से कन्स्ट्रक्शन किया जा सकता है I

3D प्रिंटेड बिल्डिंग का चैलेंजेस 3D प्रिंटेड Technology

3d प्रिंटेड बिल्डिंग के चैलेंज
  1. बड़े पैमाने पर 3D प्रिंटर मशीन की कीमत बहोत ज्यादा है I
  2. 3D प्रिंटर बिल्डिंग मशीन को चलाने के अनुभवी ऑपरेटर और अनुभवी इंजीनियर की जरूरत पड़ती है I
  3. 3D प्रिंटर बिल्डिंग का उपयोग करने के लिए कुछ जगहों पर बिल्डिंग कोड और परमिट की समस्या हो सकती है ।
  4. 3D प्रिंटर मशीन इलेक्ट्रिक और इंटरनेट पर निर्भर करता है ।
  5. 3D प्रिंटर मशीन मे सीमित मटेरियाल (मुख्य रूप से कंक्रीट)की जरूरत पड़ती है ।
  6. मटेरियाल और इन्डस्ट्रीअल से जुड़ी चैलेंजेस हो सकता है I

    मटेरियल की अवैलिबिलिटी और 3D प्रिंटिंग के लिए एक विशेष प्रकार के, जल्दी सेट होने वाले कंक्रीट (Specialized, Fast-setting Concrete) की जरूरत होती है। कन्स्ट्रक्शन निर्माण मटेरियल जैसे ईंट, स्टील और कंक्रीट की तुलना में ऐसा मटेरियाल की अवैलिबिलिटी कम है और इसकी लागत ज्यादा हो सकता है।
    लेयर बाइ लेयर बॉन्डिंग और मजबूती (Layer Bonding and Durability) चूँकि बिल्डिंग लेयर में प्रिंट होती है, इसलिए यह फिक्स करना एक चैलेंज है कि लेयर के बीच का बॉन्ड मज़बूत हो। लॉन्ग टाइम तक इन प्रिंटेड स्ट्रक्चर को टिकाऊपन हो I
  7. 3D प्रिंटर मशीन और बिल्डिंग कन्स्ट्रक्शन के मुकाबले टिकाऊ कितनी होगी, इस पर और रिसर्च की आवश्यकता है।
    स्ट्रेनथ स्टील (Steel Reinforcement) को शामिल करना कंक्रीट संरचनाओं को मजबूत बनाने के लिए स्टील की छड़ों (सरिया) का उपयोग अनिवार्य है। 3D प्रिंटिंग प्रक्रिया में रोबोटिक रूप से स्टील स्ट्रेनथ को perfactly से शामिल करना एक कठिन टेक्निकल चैलेंज है।


    2.रूल और रेग्युलेशन ला (LAWS)
    (Regulatory Approvals) अधिकांश देशों में बिल्डिंग कोड और निर्माण मानक पारंपरिक तरीकों के लिए बनाए गए हैं। 3D प्रिंटेड इमारतों को इन कानूनों और मानक का पालन करना और अप्रूवल लेना एक बड़ी कठिन प्रोसेसस है।
    सार्वजनिक स्वीकृति (Public Acceptance) यह एक नई तकनीक है, इसलिए आम लोगों में 3D प्रिंटेड बिल्डिंग की मज़बूती ( स्ट्रेनथ )और लॉंगटर्म को लेकर टाइम लग सकता है, जिससे इसे व्यापक रूप से स्वीकार करने में समय लगेगा।


    3. लॉजिस्टिक्स और कोस्ट से जुड़ी प्रॉब्लमस

    हाई कोस्ट 3D प्रिंटिंग मशीन (प्रिंटर, रोबोटिक आर्म, मिक्सिंग यूनिट) बहुत बड़े और महंगे होते हैं। इस पूरे सेटअप की स्टार्टिंग कोस्ट ज्यादा होने के कारण छोटे कन्स्ट्रक्शन फॉर्म के लिए इसे लेना थोड़ा मुश्किल होता है।
    प्रिंटर को ट्रांसपोर्ट करना ये बड़े 3D प्रिंटर एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और कन्स्ट्रक्शन साइट पर असेंबल करने में दिक्कत और समय लगता है।
    स्किलड़ लेबर की जरूरत होती है, 3D प्रिंटर को चलाने के लिए और डिज़ाइन फ़ाइलों को मैनेज करने के लिए स्किलड़ लेबर (Highly Skilled Labor) और इंजीनियरों की जरूरत होती है, जो हर जगह आसानी से नहीं मिल पाते है ।
    बड़े स्तर पर (Scale Limitations) इस तकनीक मे अभी भी बड़े बड़े और ऊँचे कन्स्ट्रक्शन (जैसे हाई राइज़ बिल्डिंग ) के लिए उतनी स्टबिलिटी नहीं है जितनी कि छोटे या मीडियम साइज़ के घरों और स्ट्रक्चर के लिए है।

भारत में 3D प्रिंटेड हाउस Technology कंस्ट्रक्शन

भारत ने 3D प्रिंटिंग Technology को स्पीड से अपनाना शुरू कर दिया है।

भारत का पहला 3d प्रिंटेड घर चेन्नई में स्थित
  1. 2021 में IIT-Madras की स्टार्टअप कंपनी ने चेन्नई में भारत का पहला 3D प्रिंटेड घर बनाया है I
  2. हैदराबाद, अहमदाबाद और बेंगलुरु में कई स्टार्टअप 3D प्रिंटिंग प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं।
  3. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सस्ते और टिकाऊ घरों के लिए इस तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है।

3D प्रिंटिंग में इस्तेमाल होने वाली मशीनें और सामग्री

  1. 3D प्रिंटर प्रकार
    • गैन्ट्री बेस्ड 3D प्रिंटर
    • रोबोटिक आर्म प्रिंटर
  2. सामग्री (Materials)
    • सीमेंट, रेत और एडिटिव का विशेष मिश्रण
    • कभी-कभी पॉलीमर-आधारित या जियोपॉलीमर कंक्रीट

गैन्ट्री बेस्ड 3d प्रिंटर
गैन्ट्री बेस्ड 3D प्रिंटर
रोबोटिक आर्म प्रिंटर
रोबोटिक आर्म प्रिंटर

भविष्य में 3D प्रिंटेड बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन

3D प्रिंटेड हाउस कंस्ट्रक्शन भविष्य में

  1. सस्ते आवास की समस्या का समाधान कर सकता है।
  2. स्मार्ट सिटी और आपदा-प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से री कन्स्ट्रक्शन करेगा।
  3. पर्यावरण के लिए टिकाऊ और ग्रीन बिल्डिंग की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है I

कन्स्ट्रक्शन और 3D प्रिंटेड हाउस

विशेषताकन्स्ट्रक्शन3D प्रिंटेड निर्माण
समय4–6 महीने2–5 दिन लगता है
लेबर20–305–6 लेबर मे काम हो जाता है
कोस्ट अधिक लगता है 20–30% लागत कम लगता है
पर्यावरणीय वेस्टज्यादा होता है बहुत कम
डिज़ाइनलिमिटेड लचीला और आधुनिक

FAQs – 3D प्रिंटेड बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन

Q1. 3D प्रिंटेड घर कितने समय में बनता है?
साधारण घर 24–72 घंटे में तैयार हो सकता है।

Q2. क्या 3D प्रिंटेड घर टिकाऊ होते हैं?
हाँ, इनका कंक्रीट पारंपरिक घर जितना मजबूत होता है।

Q3. भारत में 3D प्रिंटिंग तकनीक का खर्च कितना है?
शुरुआती लागत अधिक है लेकिन बड़े पैमाने पर निर्माण सस्ता पड़ता है।

Q4. क्या 3D प्रिंटेड घरों को सरकार मंजूरी देती है?
कुछ राज्यों में अनुमति मिल रही है, लेकिन अभी बिल्डिंग कोड अपडेट हो रहे हैं।


निष्कर्ष

3D प्रिंटेड बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन Technology सिविल इंजीनियरिंग में नई क्रांति ला दिया है। यह तेज़ से,और किफायती है , पर्यावरण-अनुकूल और स्मार्ट शहरों के लिए सबसे उपयोगी तकनीक है। आने वाले वर्षों में भारत में इस तकनीक के जरिए लाखों सस्ते घर बनाए जा सकते हैं।

https://www.constructionworld.in

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