Structural engineering क्या है ? बिल्डिंग, रोड, पुल, डेम, नहर, टॉवर, मॉल
Structural Engineering

परिचय (Introduction)

Structural engineering वह शाखा है जो सिविल इंजीनियरिंग का मुख्य शाखाओं में एक है।


Structural इंजीनियरिंग में किसी भी कंस्ट्रक्शन का जैसे बिल्डिंग,रोड, पुल , डेम,नहर, टॉवर का मजबूती का ध्यान रखा जाता है सिविल इंजीनियरिंग एक बहुत बड़ी फील्ड है और इसकी कई शाखाएँ हैं, जिनमें से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग (Structural Engineering) सबसे महत्वपूर्ण है।

वैसे तो सभी का अपने अपने फील्ड में सबका महत्व होता है पर स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग एक अच्छा और इंपॉर्टेंट पार्ट है सिविल इंजीनियरिंग का ।
हमारे आस-पास जितनी भी इमारतें, पुल, टावर, डैम या स्टेडियम, मॉल,या फिर बड़ी बड़ी इमारत क्यों ना हो इन सब में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग का अहम भूमिका है। उन सबकी मजबूती और सुरक्षा का रहस्य स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में छुपा हुआ है।
यह इंजीनियरिंग शाखा सुनिश्चित करती है कि कोई भी structure हर प्रकार के load को सह सके और लंबे समय तक टिकाऊ बना रहे। Structural Engineer का काम होता है ।

यह सुनिश्चित करना कि structure पर लगने वाले सभी Loads (Dead Load, Live Load, Wind Load, Earthquake Load) का सही तरह से सामना कर सके। Structural Engineering, Civil Engineering की एक शाखा है जिसमें संरचनाओं (structures) का डिजाइन, विश्लेषण और उनकी मजबूती पर काम किया जाता है।

कोई भी बिल्डिंग या ब्रिज सिर्फ अच्छा दिखने के साथ–साथ बल्कि सुरक्षित और स्टेबिलिटी के लिए भी डिजाइन की जाती है।सरल भाषा में कहा जाए तो, Structural Engineering ही यह तय करती है कि कोई बिल्डिंग, पुल या डैम, स्टेडियम, या मॉल क्यों ना हो गिरेगा नहीं, और सुरक्षित रहेगा।

स्टेडियम में कितने लोग बैठे होते है फिर भी कुछ नहीं होता है ऐसा क्यों होता है कभी सोचा है उसके पीछे स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग काम करता है इसलिए वह कुछ भी नहीं होता । किसी मॉल में घूमने जाओ वह पर भी कितने लोग घूमते रहते है कितना सामान होता है और भी क्या क्या रहता है फिर भी उस स्ट्रीकरचर को कुछ नहीं होता ऐसा इसलिए हो पाता है क्यों कि स्ट्रक्चर डिजाइन होता है तब पूरा लोड कैलकुलेशन किया जाता है । की कितना लोड बेयरिंग कैपेसिटी है कितना लोड झेल सकता है ।

यही कैलकुलेशन कर के डिजाइन किया जाता है । इससे पता चलता है कि हमारे लिए strutcural इंजीनियरिंग का क्या महत्व है।

Strutcural इंजीनियरिंग मेन कम होता है उसका मजबूती और ड्यूरेबिलिटी कितना लोड झेल सकता है किसी परिस्थिति में कितना परफॉर्म करता है। और कितना strenth लेता है ।

Structural engineering में हवा का प्रेसर कितना झेल सकता है इसका भी कैलकुलेशन किया जाता है उसी केहीसब से स्ट्रक्चर डिजाइन किया जाता है । कई बार हवा की स्पीड इतना बढ़ जाता है कि बड़ी बड़ी बिडिंग भी हवा का प्रेसर झेल नहीं पाते और कोलैप्स हो जाता है गिर जाता है । इसलिए हवा का प्रेशर को भी ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाता है। ताकि किसी भी स्ट्रक्चर जैसे बिल्डिंग, रोड,पुल,डेम, नहर

Design तैयार करना – Beams, Columns, Slabs, Footings जैसी structural members की सही डिजाइन। को वेरिफाई करता है डिजाइन बहुत मजबूती से किया जाता है ताकि इन फ्यूचर कोई दिक्कत ना आए और अच्छे से स्ट्रक्चर अपना बैलेंस बना ले ।

Construction Supervision – साइट पर यह देखना कि काम डिजाइन के हिसाब से हो रहा है या नहीं।अगर नहीं हो रहा तो उसको डिजाइन के हिसाब से करवाना स्ट्रक्चरल इंजीनियर की जिम्मेदारी है।

  1. Safety Assurance – Structure प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ और तेज हवा से सुरक्षित रहे। ऐसे आपदा को रोक पाना इंसानों के हाथ में तो नहीं है इसलिए ऐसे डिजाइन बना सकते है जो प्राकृतिक आपदाओं को झेल सके यही स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग का महत्व है । और स्ट्रेंथ बना कर रख सके कितना भी मुश्किल परिस्थिति आ जाए स्ट्रक्चर अपने जगह पर ही रहे ।

Structural Engineering क्या है ? और इसके महत्वपूर्ण बात।

Structural Engineering का उपयोग लगभग हर बड़े निर्माण कार्य में होता है –Residential & Commercial Buildings – घर, अपार्टमेंट, मॉल, ऑफिसBridges (पुल) – छोटे से लेकर मेगा ब्रिज तकDams और Reservoirs – पानी रोकने और बिजली उत्पादन के लिएHigh-rise Towers & Skyscrapers – बड़े-बड़े टावर और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्सIndustrial Structures – फैक्ट्रियां, स्टेडियम, पावर प्लांट्स

स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग का स्कोप

भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में Structural Engineers की डिमांड लगातार बढ़ रही है।इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की तेजी से हो रही ग्रोथ इस क्षेत्र को और भी आकर्षक बना रही है।

और इसका डिमांड हमेशा रहेगा क्योंकि हाईराइज बिल्डिंग या हेवी स्ट्रक्चर जैसे मेट्रो, मॉल, ब्रिज, स्मार्ट सिटी , जब तक कंस्ट्रक्शन होगा तब तक डिमांड बढ़ता ही रहेगा इसमें स्कोप तो है बस आपको इसके लिए कुछ स्किल्स सीखना पड़ेगा

Structural engineering skills

Mathematics और Physics में मजबूत पकड़ हो क्यों कि इसमें कैलकुलेशन बहुत अच्छे से करना पड़ता है

Software Knowledge: AutoCAD, STAAD Pro, ETABS, Revit, SAP2000 ये सब सॉफ्टवेयर है जिसमें डिजाइन का पार्ट होता है ।

Problem Solving & Analytical Skills होना चाहिए ताकि आप साझ जाओ को कोई प्रॉब्लम आए तो उसको कैसे सॉल्व करे एनालाइज करो कि प्रॉब्लम क्या है इसका क्या सोल्यूशन हो सकता है।

Construction Codes & Standards (IS Codes, Euro Codes, ACI Codes) की समझ होना अहम पार्ट है IS Code के बारे में पूरा पोस्ट लिखा है वाह से आप पड़ सकते है । लिंक IS CODE डिटेल

Site Experience – field पर काम करने का प्रैक्टिकल ज्ञान होना चाहिए हमेश कुछ न कुछ नया सीखना चाहिए तभी एक्सपीरियंस हो पाएगा

निष्कर्ष

यह structural इंजीनियरिंग का इंपोर्टटेंट पार्ट इसके बिना कोई भी निर्माण सुरक्षित और टिकाऊ नहीं हो सकता।अगर आपको डिजाइन और एनालिसिस में रुचि है और आप बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनना चाहते हैं,तो स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग आपके लिए बेहतरीन करियर ऑप्शन है।

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Structural Engineering → Civil Engineering Basics

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